जिले की 66 प्रतिशत महिलाएं हैं एनीमिया से ग्रसित
समय पर लक्षणों की पहचान एवं सुरक्षित खानपान से दूर हो सकती है एनीमिया की समस्या

पूर्णिया, 08 जुलाई।
वर्तमान समय में एनीमिया से ग्रसित होना आम समस्या जैसी हो गई है। एनीमिया की बीमारी लोगों को शरीर में खून एवं हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से होती है। इससे लोगों के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती और लोग इसके शिकार हो जाते हैं। 06 माह से 05 वर्ष के बच्चे और 15 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में एनीमिया ग्रसित होने की संभावना ज्यादा होती है। इससे सुरक्षा के लिए लोगों को सुरक्षित खानपान और लौहयुक्त आहार (आयरन सप्लीमेंट्स) का समय-समय पर उपयोग करना आवश्यक है। इसके उपयोग से लोग एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
शरीर में खून की कमी से होती है एनीमिया :
सिविल सर्जन डॉ. एस के वर्मा ने बताया कि मनुष्य के शरीर स्थित खून में लाल रक्त कोशिका (रेड ब्लड सेल्स - आरसीबी) उपस्थित होता है जो शरीर के सभी ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुँचाने में सहायक होता है। जब शरीर में आरसीबी की मात्रा कम हो जाती तो शरीर में ऑक्सीजन घटने लगता और नया खून का निर्माण बाधित हो जाता है। इसी समस्या को शरीर में खून की कमी या एनीमिया कहा जाता है। यह समस्या ज्यादातर शिशुओं और महिलाओं में होती है। इससे सुरक्षा के लिए लोगों को आयरन सप्पलीमेंट की दवाइयां व लौहयुक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है जिससे कि लोगों के शरीर में ऑक्सीजन लेवल सुरक्षित हो सके।
जिले की 66 प्रतिशत महिलाएं हैं एनीमिया से ग्रसित :
एनएफएचएस-5 (2019-20) की रिपोर्ट के अनुसार पूर्णिया जिले में 15 वर्ष से 49 वर्ष की 66 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की समस्या से ग्रसित पाई गई हैं । इस रिपोर्ट के अनुसार जिले के 15 से 49 वर्ष की 65.1 प्रतिशत महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं और 74.6 प्रतिशत महिलाएं जो गर्भवती हैं वह एनीमिया की शिकार हैं। इसके अलावा जिले की 15 से 19 वर्ष की 64 प्रतिशत महिलाएं और 06 माह से 59 माह के 68 प्रतिशत बच्चे भी एनीमिया ग्रसित हैं। लोगों को इससे सुरक्षित रहने के लिए चिकित्सकों से आवश्यक परामर्श के बाद सुरक्षित आहार का सेवन करना चाहिए ताकि वह एनीमिया की समस्या को दूर कर सकें।
समय पर लक्षणों की पहचान से दूर हो सकती है एनीमिया :
आमतौर पर एक स्वस्थ महिला की शरीर स्थित रक्त में प्रति डेसिलेटर 12 ग्राम हीमोग्लोबिन का स्तर होना जरूरी होता है। अगर इसमें कमी पाई जाती है तो वह एनीमिया ग्रसित हो सकती है। वहीं गर्भवती महिलाओं में सांस फूलना, कमजोरी, थकावट महसूस करना, चक्कर आना, घबराहट, एकाग्रता में तकलीफ, आंखों-हथेलियों-नाखून का रंग पीला होना आदि एनीमिया ग्रसित होने का लक्षण होता है। इससे सुरक्षा के लिए महिलाओं को आहार के साथ आयरन, विटामिन-बी12 व फोलिक एसिड के सप्पलीमेंट का उपयोग करना चाहिए। सभी स्वास्थ्य केंद्रों में आयरन, फोलिक एसिड सप्पलीमेंट की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है।
सुरक्षित खानपान से दूर हो सकती है एनीमिया की समस्या :
सिविल सर्जन डॉ. वर्मा ने बताया कि दवाइयों के अलावा घर पर उपलब्ध सुरक्षित खानपान का ध्यान रखना जरूरी है। इससे सुरक्षा के लिए महिलाओं को आयरन, फोलिक एसिड के अलावा गन्ने का रस, चना-गुड़, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, सेम, टमाटर, चुकुन्दर, केला, अनार, किशमिश, खजूर, अंजीर जैसे खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए। ये शरीर में आयरन की कमी दूर कर हीमोग्लोबिन के स्तर का विकास में सहायक होता है।