पताही के जिहुली में मानस मर्मज्ञ के असामयिक निधन पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

 

बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया”की गूंज से गुंजायमान था श्रद्धांजलि सभा

सभा में सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों ने अखिल भारतीय हनुमान आराधना मण्डल के राष्ट्रीय महासचिव व राम रसायन के सह संपादक मदन शर्मा शास्त्री को नम आंखों से दी श्रद्धांजलि

गरीब दर्शन / मोतिहारी – जिले के पताही प्रखंड के जिहुली गांव में प्रोफेसर राम निरंजन शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा का मंच संचालन राम मनोहर जी ने किया। मंच संचालन करते हुए राम मनोहर जी ने अपने संबोधन में कहा कि आध्यात्मिक जगत के स्तंभ,मानस मर्मज्ञ, कुशल मंच संचालक एवं अखिल भारतीय हनुमान आराधना मंडल के राष्ट्रीय महासचिव मदन शर्मा शास्त्री के बीते दिनों असामयिक निधन से पूर्वी चम्पारण हीं नहीं वरन सीतामढ़ी, दरभंगा सहित कई जिलों के आध्यात्म से जुड़े विद्वत जन मर्माहत हैं। उन्होंने कैफी आजमी की शेर के बोल कि
“रहने को सदा दहर में आता नहीं कोईतुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई। वहीं अपने संबोधन में बिहार के जाने- माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ संतोष कुमार ने कहा कि ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो इस दुनिया से रुखसत होने के बाद अपने पीछे अपना प्रभावी इतिहास छोड़ जाते हैं और उनकी यादें हमेशा दिलो दिमाग में घर किए होती है। वैसे हीं शख्सियत में शुमार बैकुंठ वासी मदन शर्मा शास्त्री थे। वहीं उपेंद्र पांडेय ने कहा कि अच्छे लोग कभी नहीं मरते। उनका कृतित्व व व्यक्तित्व सदा लोगों के जेहन में शुमार रहता है। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में इंजीनियर संजय कुमार, अवधेश कुमार सिंह, प्रोफेसर भैरव सिंह,नवल किशोर सिंह,शशि भूषण शर्मा, मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष सुरेश सिंह, हनुमान आराधना मंडल के सुरेश सिंह, रमाकांत शर्मा शास्त्री, विकास मोहन, उमाकांत तिवारी शास्त्री, शैलेन्द्र सिंह, पद्माक्ष रंजन, पैक्स अध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह , मधुरेंद्र कुमार, बजरंगी सिंह सहित कई लोग शामिल थे। वक्ताओं ने दिवंगत श्री शास्त्री की सहज स्वभाव व उनकी सरलता की बखूबी बखान किया तथा उनकी आध्यात्मिक तत्परता की नम आंखों एवं भर्राए आवाज से विश्लेषण किया। इस दौरान उनकी आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखकर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। रमाकांत शर्मा शास्त्री ने अपने वैकुंठ वासी मित्र के लिए कहा कि शायर रहमान फारिश ने ठीक ही कहा है कि”कहानी खत्म हुई और ऐसी खत्म हुई कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए”वहीं प्रोफेसर अमरेंद्र चौबे ने कहा कि “अब नहीं लौट के आने वाला, घर खुला छोड़ के जाने वाला”। उन्होंने कहा कि आ लौट के आजा मेरे मीत, तुझे श्री राम बुलाते हैं।

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