भगवान शिव के अलावा धरा के एक मात्र इस पक्षी का कंठ नीला दर्शनार्थ संबंध कायम

भगवान शिव के अलावा धरा के एक मात्र इस पक्षी का कंठ नीला दर्शनार्थ संबंध कायम

भगवान शिव के अलावा धरा के एक मात्र इस पक्षी का कंठ नीला दर्शनार्थ संबंध कायम

सत्येन्द्र कुमार शर्मा - नीलकंठ का दर्शन अर्थात भगवान शिव के दर्शन से भी जोड़ा जाता हैं।बीशपान करने से भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया।बीश पान करने के पश्चात भगवान शिव नीलकंठ कहलाये। नीलकंठ भगवान शिव को कहा जाता है और धरा पर एक मात्र इस पक्षी को कहा जाता है।
विजयादशमी के दिन व अन्य दिन निलकंठ के उड़ते बैठते दिशा से आने जाने का अदभुत ज्ञान हमारे धर्म संस्कृति में कायम हैं जो शोध का विषय है।
हमारे अध्यात्म मेंं पशु पक्षियों की चर्चा एवं वाहन के रूप में प्रयोग करने की चर्चा है।भगवान शिव हमारे आदि पुरुष हैं।जिनके गले में नाग है तो साथ मेंं बैल है। उनके पत्नी की सवारी बाघ तो उनके एक पुत्र मुस (चुहा) तो एक पुत्र मोड़ का प्रयोग वाहन के रुप में किए जिसकी चर्चा आमतौर पर देखने को मंदिरों मेंं मिलता है। नीलकंठ पक्षी का दर्शन विजयादशमी को किया जाता रहा है जो आज भी कायम है।वैसे मानव ने कई छोटे बड़े पशु पक्षियों को पालतू बनाया है और उसके साथ रहने जीने का आदि भी है।