बिहार पंचायत चुनाव 2021 : एक संस्मरण

विभा सिंह उर्फ गुड़िया मखदुमपुर, बिहियाँ

बिहार पंचायत चुनाव 2021 : एक संस्मरण

विभा सिंह उर्फ गुड़िया 

इस समय बिहार राज्य में पंचायत चुनाव चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। राज्य में इस वर्ष 24 सितम्बर से आरम्भ पंचायत चुनाव कुल 11 चरणों में हो रहा है जो कि 12 दिसम्बर तक चलेगा। अब तक 05 चरणों का मतदान हो चुका है तथा इसके नतीजे भी घोषित किये जा चुके है। पंचायत चुनाव के पाँचवें चरण में बिहार राज्य के भोजपुर जिलान्तर्गत बिहियाँ प्रखण्ड के फिनगी पंचायत में मैंने अपने बहुमूल्य वोट का प्रयोग की तथा पंचायत चुनाव के माहौल को बेहद करीब से देखी जो कि मेरे लिए अविस्मरणीय रहा। एक तरफ ग्रामीण जनता में एक गजब से उत्साह था तो दूसरी तरफ चुनाव में विभिन्न पदों के लिए खड़े प्रत्याशियों में जीत के प्रति जोश तथा जुनून स्पष्ट रूप से दिख रहा था। 

इस पंचायती चुनाव के बारे में मैं अपनी संस्मरण आगे साझा करूँगी। अभी पंचायती राज व्यवस्था पर नजर डालते हैं। बिहार राज्य में देश को आजादी मिलने के साथ ही बिहार पंचायत राज अधिनियम का गठन हुआ था। बाद में 73वें संविधान संशोधन के प्रावधानों के अनुसार ही बिहार पंचायत राज अधिनियम 1993 बनाया गया जिसके अंतर्गत पंचायत राज को त्रिस्तरीय बनाया गया। तत्पश्चात बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के अंतर्गत विशेष प्रावधानों को जोड़कर पंचायत राजव्यवस्था को और अधिक समुदाय केन्द्रित एवं सशक्त बनाने की कोशिश की गई। जैसे- (क) महिलाओं के लिए सभी स्तरों एवं पदों पर 50 प्रतिशत का आरक्षण। (ख) अत्यन्त पिछड़े वर्ग के सभी स्तरों एवं स्थानों पर अधिकतम 20 प्रतिशत का आरक्षण का प्रावधान। (ग) पंचायती राज के निर्वाचित पदधारकों को लोक सेवकों के दर्जा, आदि। 

इस बार पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान मैंने महसुस कि स्थानीय ग्रामीण लोग बेझिझक निवर्तमान जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य आदि से पिछले 05 वर्षों के उनके काम-काज का लेखा जोखा माँगते हुए नजर आए तथा नए प्रत्याशियों से उनकी भविष्य की पंचायत विकास कार्ययोजना पर खुलकर चर्चा कर रहे थे। ग्रामीण परिवेश में इसे देखकर बड़ा ही अच्छा लग रहा था तथा सुकून भी मिल रहा था। इससे हमारे देश की मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक सकारात्मक झलक देखने को मिल रही थी। खैर, चुनाव शान्तिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ। महिलाओं ने भी इस चुनाव में बढ़-चढ़कर भागीदारी की। पंचायत चुनाव में महिला सशक्तिकरण की झलक स्पष्ट रूप से दिख रहा था। मतदान के एक दिन बाद मतगणना थी। लोगों में अपने समर्थित प्रत्यासी के जीत के प्रति आंतरिक खुशी थी जबकि प्रत्याशियों में जाहिर सी बात है बेचैनी की आलम थी। शांतिपूर्ण माहौल में मतगणना के बाद अलग-अलग पदों के विजेता प्रत्याशियों की घोषणा की गई। फिनगी पंचायत से मुखिया प्रत्याशी मुनी देबी अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी से मात्र 02 वोटों से विजयी रही। यह जाहिर करता है की चुनावी प्रक्रिया में एक-एक वोट का क्या अहमियत है। मेरा मानना है कि लोकतांत्रिक देश में हम सभी को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने मतदान करना चाहिए तथा दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमारा एक - एक वोट बहुमूल्य है। इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। 

मतगणना के बाद मैंने जनप्रतिनिधि मुखिया पद के विजेता प्रत्याशी मुनी देबी से बात करके पूछा कि 02 वोट से जीतकर कैसा लग रहा है? उन्होंने खुशी के साथ बड़े ही सरल शब्दों में कहा कि मानव जीवन में 02 अंक का विशेष महत्व है। ईश्वर ने हमें 02 पैर दिए है, 02 हाथ दिए है तथा 02 आँख दिए है, जिसका हमारे जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत ही महत्व है। दो वोटों से यह जीत मुझे अगले 05 वर्षों तक प्रेरित करेगा कि अपने पंचायत के विकास के लिए तथा लोगों को हर संभव मदद के लिए मैं निरन्तर उनके साथ खड़ी रहूँ तथा समाज के हर तबके के लोगों को एक समान नजरिये से देखते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक व ढांचागत विकास, रोजगार, महिला सशक्तिकरण आदि के क्षेत्र में बेहतर काम करने की हर संभव कोशिश करूँ। साथ ही, इन क्षेत्रों में केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पंचायत के सभी लोगों तक खासकर कमजोर व वंचित तबके तक बिना किसी रूकावट के पहुँचे। 

बड़ा ही सुकून मिला इन शब्दों को सुनकर। इन चन्द शब्दों में ग्रामीण परिवेश में महिला शसक्तीकरण की एक परिदृश्य स्पष्ट रूप से नजर आ रही थी और यह बदलते हुए हमारे देश भारत और बिहार राज्य की तस्वीर है। पंचायत चुनाव में विजयी प्रत्याशियों का यह दायित्व है कि अपनी पंचायत की जनता के उम्मीदों पर खरा उतरें और विकास के लिए किये गए वादों को चरणबद्ध तरीकों से नियमों का पालन करते हुए पूरा करें।