लोकतंत्र का रास्ता रुका या रोका सुरक्षा चुक या सुनियोजित अहम मुद्दा
लोकतंत्र का रास्ता रुका या रोका सुरक्षा चुक या सुनियोजित अहम मुद्दा

सत्येन्द्र कुमार शर्मा / गरीब दर्शन - लोकतंत्र का रास्ता रुका या रोका सुरक्षा चुक या सुनियोजित आज देश के लिए अहम मुद्दा बन गया है।भारतीय राजनीति के लिए रास्ता रुका तो यह भी घिनौना यदि रोका तो यह भी घिनौना मुद्दा है। सुरक्षा चुक व सुनियोजित जांच का अहम मुद्दा जरूर है लेकिन आज राजनीति इतनी घिनौनी दौड़ से गुजर रही है जिसकी जितनी चर्चा हो रही हैं विश्व क्षितिज के लिए घिनौना होता जा रहा है। इस अहम मुद्दे से इसे बाहर भी करना अब अन सुलझा प्रश्न बन गया है। जिस अनसुलझे सवाल पर आज बहस तेजी से चल रहा है। एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री को कार्यक्रम में वगैर भाग लिये लौटने की बात तो दूसरी ओर पंजाब की तमाम सड़कों का अवरुद्ध रहना जो क्षणिक नही हो सकता है। यहां भारतीय लोकतंत्र का एक नया अध्याय शुरू हुआ जहां कटु सत्य यह है कि रोकने वाले भी भारतीय ही है और रुकने वाला भी भारतीय है। रही बात की लोकतंत्र का रास्ता रुका और रोका गया दोनों ही परिणाम जल्द सामने आने की बात नहीं है। रही बात एसपीजी सुरक्षा में लगे लोग भी भारत के ही है और उनका नियंत्रण भारत सरकार के जिम्मे है। स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था व पुलिस पंजाब की है जहां के तमाम किसान राज्य के तमाम रास्ता रोकने को लेकर सड़क पर पिछले कई दिनों से लगे हुए थे। जिन्हें नियंत्रित करना राज्य पुलिस के बुते से बाहर रही जैसे भारत सरकार के नियंत्रणाधिन तमाम सुरक्षा एजेंसियों को रास्ते के अवरोध की भनक तक नहीं लगी। जिन्होंने कोई चुक की तो सिर्फ रास्ते के बाधा की जानकारी नहीं हासिल करने की।
राज्य के किसान, राज्य सरकार के आला अधिकारी, भारत सरकार एवं सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारी सभी के क्रियाकलाप एक बार विश्व क्षितिज पर छोटा हो चला है जो भारतीय राजनीति का अहम मुद्दा एक नया अध्याय है और भारत के विश्व गुरु के संदेश के लिए नकारात्मक है।