बेवा अर्चना की जीजिविषा और जीवटता के हर कोई है कायल

मुसीबतों का सामना करती बीपीएससी की परीक्षा पास कर बनी शिक्षिका 

बेवा अर्चना की जीजिविषा और जीवटता के हर कोई है कायल

गरीब दर्शन / हाजीपुर गोरौल, मधुरापुर - जिस पत्नी के सर से पति का साया उठ गया हो और वह अपने दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम के बदौलत अपने मुकाम को हासिल कर ले तो वह उसके लिए किसी कीर्तिमान से कम नहीं है । जी हां कुछ इसी तरह की कीर्तिमान हासिल की है गोरौल प्रखंड अंतर्गत मजीराबाद ग्रामवासी बेवा अर्चना ने । अपनी मेहनत की बदौलत उसने सफलता की ऐसी लकीर खींच दी है कि इलाके के लिए नजीर बन गई है l खासकर ऐसी महिलाओं के लिए जो दुर्भाग्य से बेवा बन गई और उसने मुसीबतों के आगे घुटने टेक दिए । सचमुच ईश्वर उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद करते हैं l अपने परिवार की मदद के सहारे उसने प्रतियोगिता की परीक्षाएं देनी शुरु की । उसने इस बार शिक्षक भर्ती हेतु बीपीएससी द्वारा ली गई परीक्षा में सफलता हासिल की और उसका पोस्टिंग भी हुआ । बताते चलें कि अर्चना के पति संजय कुमार वियोगी सन् 2021 में वैश्विक महामारी कोरोना की भेंट चढ़ गये l पैर लड़खड़ाए परंतु परिवार वालों ने संभाला । मुसीबत की मारी अर्चना ने मर्यादा के साथ जीने को ठानी । ग्रेजुएट थी ही प्रतियोगी परीक्षाओं का आवेदन देना शुरु किया । अपने परिश्रम के बल पर अपनी किस्मत खुद गढ़ने वाली अर्चना ने बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता अर्जित की और आज वह  शिक्षिका बन मिशाल कायम की है।साहस की प्रतिमुर्ति साबित अर्चना को उसके परिवार वालों का भरपुर सहयोग तो मिला ही साथ - साथ उसकी किस्मत संवारने में उसकी बड़ी दीदी प्रियंका,जीजा चंद्रशेखर पटेल, विजय कुमार, सोनु कुमार, उसके दिवंगत पति के अजीज मित्र इंद्रजीत कुमार और उसके सहपाठियों का बहुत बड़ा योगदान है l अर्चना ने अपनी सफलता का श्रेय भी उन्हीं लोगों को दिया है। अर्चना पातेपुर प्रखंड के टेकनारी ग्राम निवासी शिवचंद्र सिंह की पुत्री और मजीराबाद ग्रामवासी राजकुमार सिंह की पुत्रबधू है l अर्चना ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह अपने परिवार और स्वजन - परिजन की कृतज्ञ है और स्वयं की तथा परिवार की मर्यादा का पालन हमेशा करती रहेगी l अर्चना की ऐसी सफलता पर गांव वालों को नाज है और वह हिम्मत खो चुकी महिलाओं के सामने उदाहरण स्वरुप खड़ी है जिसकी तारीफ हर जुबां पर है l
कहते हैं :- लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती l