"भारत : कोरोना की तीसरी लहर से सामना"

"भारत : कोरोना की तीसरी लहर से सामना"

"भारत : कोरोना की तीसरी लहर से सामना"

"भारत : कोरोना की तीसरी लहर से सामना"

क्रांति कुमार पाठक / गरीब दर्शन
- देश में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं उसे देखते हुए यह स्पष्ट है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। विशेषज्ञ भी अब यह मानने लगे हैं।ओमिक्रोन के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि मामलों में बढ़ोत्तरी के लिए ओमिक्रोन कितना जिम्मेदार है यह अभी कहना संभव नहीं है, क्योंकि न‌ए वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेसिंग की जरूरत पड़ रही है और सभी संक्रमितों की जीनोम सीक्वेसिंग करना बहुत कठिन है। भारत में पिछले तेरह दिन में कोरोना मामलों में दस गुना से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। 28 दिसंबर को संक्रमण के सिर्फ 9,155 मामले आए थे और 9 जनवरी   1,59,377 मामले सामने आ ग‌ए। तमाम बड़े शहरों में कोरोना के जो न‌ए केस आ रहे हैं, उनमें 50 फीसदी से ज्यादा मामले इसके न‌ए वैरिएंट ओमिक्राॅन के हैं, जो सबसे ज्यादा संक्रामक है। ऐसे में स्वाभाविक ही यह चिंता बढ़ गई है कि कहीं हालात फिर से बेकाबू होने की ओर न चले जाएं। सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र व दिल्ली से आ रहे हैं। महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 60 हजार तों दिल्ली में 20 हजार के पार पहुंच गया है। यही वजह है कि दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू के साथ ही सरकारी दफ्तरों में ( आवश्यक सेवाओं को छोड़कर) पूरी तरह से वर्क फ्राॅम होम और निजी कार्यालयों में 50 फीसदी उपस्थिति के आदेश जारी किए गए हैं। जबकि मेट्रो स्टेशनों पर लंबी कतार और भीड़ भाड़ जैसी स्थिति टालने के लिए मेट्रो व बसों में पूर्ण क्षमता के साथ यात्रियों को के बैठने की इजाजत जरूर दी गई है, लेकिन यह भी साफ कर दिया गया है कि किसी भी सूरत में बगैर मास्क के किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मिलती-जुलती पाबंदियां अन्य राज्यों में भी लगाई गई है। बिहार में स्कूल कालेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है तो वहीं रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा दी गई है। इस बीच, टीकाकरण अभियान तो यथासंभव तेजी से चल ही रही है,15 से 18 साल के नवयुवाओं को भी वैक्सीन की शुरुआत हो गई है। तीसरी लहर के मद्देनजर जहां बचाव के उपायों पर जोर दिया जा रहा है, वहीं इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि लोगों में अनावश्यक रूप से घबराहट न फैल जाए। सावधानी और घबराहट में बड़ा बारीक फर्क है, लेकिन यह फर्क धुंधला पड़ जाए तो सारे किए कराए पर पानी फिर सकता है। पहले लाॅकडाउन और दुसरी लहर से उपजे हालात की स्मृतियां मिटी नहीं है। इसलिए दोनों अतियों से बचते हुए चलने में ही बुद्धिमानी है। स्वाभाविक ही दिल्ली व बिहार सरकार ने नाइट कर्फ्यू के साथ कुछ अन्य पाबंदियों जैसे कदमों की घोषणा करते हुए यह साफ कर दिया कि राज्य में किसी तरह का लाॅकडाउन नहीं लगाया जा रहा है और फिलहाल ऐसी कोई योजना भी नहीं है। मुंबई में भी यह स्पष्ट किया गया है कि लोकल ट्रेन में सफर पर किसी तरह की पाबंदी लगाने का अभी कोई इरादा नहीं है। बेशक ओमिक्रोन से पूरी दुनिया त्रस्त है और तेजी से फैलने की इसकी क्षमता के मद्देनजर हम सबको किसी भी तरह का जोखिम मोल लेने से हर हाल में बचना चाहिए।‌ सबके मन में यही सवाल है कि आखिर किस सीमा तक जाएगी महामारी? एक अनुमान है कि जनवरी के अंत में कोरोना के मामले चरम पर होंगे। दूसरा अनुमान, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर महेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि संक्रमण के चरम दौर में देश में प्रतिदिन 4 से 8 लाख तक मामले मिल सकते हैं। तीसरा अनुमान, कड़े प्रतिबंधों के चलते लहर कुछ देर से आएगी, पर यह ज्यादा समय तक ठहरेगी। कितने समय तक ठहरेगी, कोई वैज्ञानिक यह बताने की स्थिति में नहीं है। चौथा अनुमान यह है कि लाॅकडाउन बहुत कारगर नहीं होगा, शायद ऐसा अनुमान इसलिए है कि लाॅकडाउन से दूसरी तरह की आर्थिक-सामाजिक-मानसिक समस्याएं बढ़ जाएंगी। पांचवां अनुमान है, तीसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर दूसरी लहर जैसा दबाव देखने को नहीं मिलेगा। अगर स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव नहीं पड़ता है, तो भारतीय समाज आसानी से तीसरी लहर का मुकाबला कर लेगा। महामारी को खतरनाक होने से रोकना एक-एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सबसे जरूरी है कि सावधान रहना और लक्षण की स्थिति में संक्रमण का वाहक बनने से बचना। याद रखना चाहिए, दूसरी लहर व्यवस्थागत कमियों ही नहीं बल्कि लोगों की लापरवाही का भी नतीजा था। तीसरी लहर के समय इन दोनों पहलुओं पर खास ध्यान देना होगा। पहले की तमाम गलतियों को ध्यान में रखते हुए चलना होगा। प्रसिद्ध युवा फिजिशियन डॉ मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि ओमिक्रोन को सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह समझकर हल्के में नहीं लें। क्योंकि कुछ रिपोर्ट डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट से अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम कम दिखाती हैं, फिर भी बहुत सारे लोग संक्रमित हो रहे हैं, अस्पताल में भर्ती हैं और ओमिक्रोन (और डेल्टा) से मर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोरोनावायरस में लगातार बदलाव हो रहा है। ओमिक्रोन में कब बदलाव हो जाएगा, कहना मुश्किल है। बढ़ते मामलों को तीसरी लहर बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।हर किसी को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और कोरोना से बचाव के नियमों के पालन में किसी तरह की ढिलाई नहीं करनी चाहिए। उनका मानना है कि संक्रमण के ज्यादा मामले आने पर मौतों की संख्या भी बढ़ सकती है।