सिद्धि दात्री हैं अंधारीगाछी की देवी  मां दुर्गा मन्नतें करती हैं पूरी आज खुला है पट जयकारे से गुंजा वातावरण 

सिद्धि दात्री हैं अंधारीगाछी की देवी  मां दुर्गा मन्नतें करती हैं पूरी आज खुला है पट जयकारे से गुंजा वातावरण 

सिद्धि दात्री हैं अंधारीगाछी की देवी  मां दुर्गा मन्नतें करती हैं पूरी आज खुला है पट जयकारे से गुंजा वातावरण 

-हजारों की संख्या में जुटते हैं श्रद्धालु उतारने आतें हैं मन्नत 

-लगभग 60 फीट ऊंचा बना रावण का पुतला का होगा दहन


गरीब दर्शन /हाजीपुर/गोरौल,मधुरापुर - वैशाली जिला में सराय हाट(पेठियां) के बाद  बहुत ही भीड़-भाड़ वाला हाट(पेठिंयां) कहा जाने वाला गोरौल प्रखंड अंतर्गत सोन्धो अंधारी गाछी का  हाट जिले में कई विशिष्टताओं के लिए प्रसिद्ध है lआज भी इसे लोग अंधारी गाछी हाट के नाम से जानते हैं l इसके नाम को लेकर कुछ सच्चाई के साथ कुछ दंत कथायें भी जुड़ी हैं l बात लगभग सौ-सबा सौ पुरानी होगी l  सच्चाई यह है कि इस जगह पर बहुत बड़ी गाछी थी l मतलब यहां के लिए  एक छोटा क्षेत्रफल वाला जंगल कह लें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी l यहां बालू ही बालू था l उस सड़क पर भी बालू थाl उस पर  गाछी होकर एक सड़क गुजरती थी जो लगभग एक-दो किलोमीटर उत्तर-दक्षिण जाने के बाद आबादी से मिलती थी l कहते हैं इस सड़क से 12 बजे दिन में ही गुजरना मुश्किल होता था क्योंकि इस सड़क पर घोर अंधेरा छाया होता था l इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि वह गाछी कितनी बड़ी और घनी रही होगी l इसलिए इसे आज तक लोग अंधारी गाछी कहते चले आए और यह जगह इस नाम से प्रसिद्ध हो गया l 
            एक समय की बात हैं l एक व्यक्ति गोरौल बाजार से कुछ समान लेकर उसी रास्ते लौट रहा था l सांझ हो आई थी l उसे भय सताना शुरु कर दिया l उसे हिम्मत नहीं हो रही थी कि अकेले गाछी पार कैसे की जाए l वह बार-बार हिम्मत जुटाता लेकिन डर-डर जाता l अचानक एक साधु सामने प्रकट हुआ l उसने कहा -मेरे साथ चलl
व्यक्ति साथ हो चला l गाछी वाली सड़क में कुछ दूर जाने के बाद एक स्त्री दिखाई दी l वह आगे -आगे चल रही थी l साधू ने कहा-चलो अब डर नहीं हैं। स्त्री आगे-आगे, साधू पीछे-पीछे चल रहा थाl दक्षिण दिशा चलते गाछी पार करने के पहले वह स्त्री अंतर्ध्यान हो गई l जैसे ही वह अंतर्ध्यान हुई कि एक ओड़हुल का फूल सड़क पर मिला l साधु समझ गया कि वह क़ोई साधारण स्त्री नही बल्कि शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माँ दुर्गा थीl साधू ने उस व्यक्ति से कहा कि वह देवी की प्रतिमा हर साल स्थापित करे और पूजन करे l कुछ दूरी और तय करते उस साधू ने कहा कि जब भी उसे भय लगे,मलंग बाबा का नाम ले लेना l ऐसा कह वह भी कुछ दूर चलकर अंतर्ध्यान हो गया  l व्यक्ति ने उस साधू को आगे-पीछे बहुत देखा पर वह दिखाई नहीं दिया  l तब वह व्यक्ति समझ गया कि वह मलंग बाबा ही थे l तबसे वह व्यक्ति देवी की पूजा करता रहा l बाद के दिनों में पूजा स्थल विकसित अंधारी गाछी हाट पर आ गया जहां पिछले बीस वर्षों से प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है l देवी की ऐसी महिमा है कि हर साल हजारों लोग अपनी मन्नत उतारने यहां आते हैं l श्रद्धालुओं द्वारा जो मिन्नतें की जाती है और देवी का आशीर्वाद उन्हे प्राप्त होते हैं। 
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सोन्धो अंधारी गाछी हाट के दक्षिण छोर पर एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ है उसके नीचे  बाबा मलंग स्थान बनाकर उनकी प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है l शादी-विवाह या कोई मांगलिक  कार्य होने पर उनकी पूजा अर्चना की जाती है l ऐसे मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है l
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रावण के पुतला का होता है दहन -
लगभग पंद्रह बर्षों से रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता रहा है l हजारों -हजार की भीड़ इकट्ठी होती है रावण बध के मौके पर lकलकत्ता के कारीगर आते हैं पुतला बनाने l आतिशबाजी की कलाबाजियां दिखाई जाती है l