आयुर्वेद में है Infertility का उपचार - डॉक्टर अनुपम आदित्य
आयुर्वेद में है Infertility का उपचार - डॉक्टर अनुपम आदित्य

गरीब दर्शन / सीवान - दुनियाभर में नि:संतान जोड़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यह समस्या दंपतियों के जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलू को प्रभावित कर सकती है और उनको अत्यधिक तनाव में डाल सकती है। देर से शादी करना, गलत खानपान, खराब जीवनशैली और बढ़ता stress किसी न किसी रुप में नि:संतानता का कारण बनता जा रहा है।
WHO की एक चौंका देने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक दुनियाभर में हर छठा वयस्क Infertility की समस्या से पीड़ित है। इतना बड़ा आंकड़ा बताता है कि कितने दंपतियों को उपचार की आवश्यकता है। आजकल के युवा पढ़ाई और करियर बनाने और यहां तक की सोशल कमिटमेंट के चक्कर में प्रेग्नेंसी देर से कर रहे हैं। सभी जानते है कि फर्टिलिटी उम्र बढ़ने के साथ कम होती चली जाती है। वहीं पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने लगता है, तो महिलाओं में अंडों की संख्या और गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
35 साल से कम उम्र में गर्भ_धारण करना सबसे सही रहता है। उम्र के बढ़ने के साथ महिला और पुरुष दोनों में ही मोटापे, बीपी बढ़ना, डायबिटीज, और इनसे होने वाली अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है जो निसंतानता की समस्या का कारण बन रहा हैं। इसके अलावा फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होना, एंडोमेट्रियोसिस, PCOD, PCOS", हार्मोनल विकार, प्रदूषण, मासिक धर्म में अनियमितता और पेल्विक इंफेक्शन से भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी हो सकती है। साथ ही महिला और पुरुष दोनों में ही स्ट्रेस के कारण फर्टिलिटी प्रभावित होती है।
नि:संतानता की एक मुख्य वजह हमारी जीवनशैली भी हैं। मोटापा एक बड़ा रिस्क फैक्टर है। धूम्रपान करने से महिला के अंडे और शुक्राणु के DNA नुकसान पहुंचता है। शराब का सेवन करने से महिला और पुरुष दोनों का ही प्रजनन स्वास्थ्य खराब होने लगता है। अत्यधिक तनाव महिलाओं में हार्मोन के स्तर और ओव्यूलेशन और पुरुषों में शुक्राणु उत्पादन पर गंभीर प्रभाव डालता है। और आखिर में खराब डाइट लेने और योग या व्यायाम न करने से भी प्रजनन क्षमता में कमी आती है जो Infertility को बढ़ा सकती है।
इस गंभीर समस्या के समाधान को लेकर प्रोफेसर डॉ अनुपम आदित्य मिश्र सिवान का कहना है कि आयुर्वेद में नि:संतानता का सफल इलाज आज से नहीं 5000 साल से चला आ रहा है। ज्यादातर महिलाएं हर जगह से इलाज करवाकर थक चुकी होती हैं तब हमारे पास इलाज के लिए आती हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि आयुर्वेद में सफलता दर 90% से अधिक है, जबकि "IVF" में सफलता की संभावना बहुत कम है और यह आम लोगों की पहुंच से भी बाहर है।
आयुर्वेद में पंचकर्म पद्धति से इलाज किया जाता है, जिसमें उत्तर_बस्ती थेरेपी महिलाओं की सुनी हुई कोख को भरने के लिए वरदान है। और उत्तर बस्ती थेरेपी से लाखों महिलाओं को बिना सर्जरी मां बनने का सुख प्राप्त हुआ हैं। वहीं, आयुर्वेद में बेहद कम बजट में निसंतानता का इलाज किया जा सकता है। निसंतानता का आयुर्वेदिक इलाज पूरी तरह से प्राकृतिक है। इसमें किसी भी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है। ऐसे कई मरीज हैं जिनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। और इस इलाज की सबसे अच्छी बात यही है कि कि इसकी सफलता दर भी IVF के मुकाबले ज्यादा है।