सुरक्षा के चाक- चौबंद व्यवस्था के बीच दो दिवसीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन का हुआ शुभारंभ

प्रदेश के महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकेर व सांसद राधामोहन सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का किया शुभारंभ

सुरक्षा के चाक- चौबंद व्यवस्था के बीच दो दिवसीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन का हुआ शुभारंभ
सुरक्षा के चाक- चौबंद व्यवस्था के बीच दो दिवसीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन का हुआ शुभारंभ


गरीब दर्शन/मोतिहारी - जिले के राजा बाजार में अवस्थित प्रेक्षागृह (ऑडिटोरियम) में आहूत दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन का शुभारंभ महामहिम राज्यपाल व मुख्य अतिथि राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं मोतिहारी के सांसद राधा मोहन सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। '"चीर के जमीन को मैं उम्मीद बोता हूं, मैं किसान हूं चैन से कहां सोता हूं के स्लोगन के मध्य सम्मेलन को अपने संबोधन में" महामहिम ने कहा अर्थव वेद के भूमि सूक्त में कहा गया है कि' माता भूमि: पुत्रों अहं पृथिव्या:' यानि धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं। प्राकृतिक खेती वह खेती होती है जिसमें मानव द्वारा निर्मित किसी भी प्रकार का रसायन व कीटनाशक उपयोग में नहीं लाया जाता।सिर्फ प्रकृति के दौरान निर्मित उर्वरक और अन्य पेड़ -पौधों के पत्ते से बने खाद, पशुपालन से प्राप्त गोबर खाद को प्रयोग में लाया जाता है।यह एक प्रकार से विविध प्रकार की कृषि प्रणाली है जो फसलों और जीव जंतु पेड़ों को एकीकृत करके रखती है। प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के रूप में नीम के पत्ते, गाय के गोबर की खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद, फसल के अवशेष और अन्य प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फॉस्फेट, जिप्सम, चुना,मिट्टी आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं। प्राकृतिक खेती में प्रकृति में उपलब्ध  जीवाणुओं, मित्र कीटऔर जैविक कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है। अधिक उत्पादन के लालच में किसान रासायनिक उर्वरकों  का अंधाधुंध उपयोग कर इस धरती माता को अनेक समस्याओं से  ग्रसित कर दिया है। जिस पर रोक लगाना आवश्यक है। सम्मेलन में पूर्व मंत्री बिहार प्रदेश प्रमोद कुमार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के उप महानिदेशक कृषि प्रसार डॉक्टर यू एस गौतम, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, पूसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर पी एस पांडेय,अटारी पटना के निदेशक डॉक्टर अंजनी कुमार, माननीय विधायक कृष्णनंदन पासवान, विधायक श्यामबाबू यादव, विधायक सुनील मणि तिवारी ने सम्मेलन को अपने संबोधन में प्राकृतिक खेती पर जोर देने की बात की। भारत सरकार के पूर्व मंत्री सांसद राधामोहन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि "ऊँची है जिसकी शान, ईश्वर भी करता है जिसका गुणगान, वहीं है मेरे देश का किसान, जो बिन बरसात के अपनी आंखों के नीर खेत को सींच दे, उसे ही कहते हैं किसान। उन्होंने कहा कि  प्राकृतिक खेती से मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की बहाली होती है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन किसानों की आय बढ़ाने का मजबूत आधार प्रदान करती है।