वोट अंतरात्मा के आवाज की जगह दौलत की आवाज पर

वोट अंतरात्मा के आवाज की जगह दौलत की आवाज पर

वोट अंतरात्मा के आवाज की जगह दौलत की आवाज पर

सत्येन्द्र कुमार शर्मा, सारण: "अभी तक समझ यह थी की वोट लोग अंतरात्मा के आवाज व दिल से करते हैं पर अब परिवर्तन हुआ है वोट दौलत देखकर दौलत के लालच में किया जा रहा है। दौलत का बोलबाला बढ रहा है। दौलत ने ऐसे ऐसे जगह पर सेंघ लगाया है जहां लोगों को अंदाज  नहीं था । दौलत हावी था। हालाकि दौलत 100 फीसदी तो सफल नहीं था ,पर उसका ग्रोथ अचंभित किया ।गांव में सेवाएं देने वाले हारे,पांचों साल जनसेवा करने वाले हारे,दौलत वाले आए और जमकर वोट लुटे ।चुनाव संदर्भ का निगेटिव बात मुझे नहीं परोसना चाहिए ,पर सच्चाई परोसने में क्या दिक्कत।"


उक्त बातें पंचायत चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद एक सक्रिय समाजसेवी ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के समक्ष रखा तो सैकड़ों लोगों ने बात को सही ठहराया। लेकिन विरोध के मतों में विभाजन भी एक अहम हिस्सा कहे जाने में भी कोई हीचकीचाहट नहीं रहा है।विरोधी विजयी अभ्यर्थी के खिलाफ गोलबंद हो परिणाम को परिवर्तन कर दे रहे हैं।कुछ गिने चुने परिणाम घोषित होने पर भले ही प्रतिक्रिया दिया जाय लेकिन कल तक सभी लोग जिस सत्तासीन के खिलाफ आवाज उठाते रहे वे रातों-रात बदलाव का एक मात्र कारण दौलत भले ही कहा जा सकता है लेकिन परिणाम हासिल करने वाले ने जो खोया उसकी भरपाई आने वाले पांच वर्ष में होने की संभावना आज भले ही दिखाई पड़ रहा हैं लेकिन पांच वर्ष वाद एक दौलतमंद फिर जब वहां खड़ा होगा तो परिवर्तन भी फिर तय रहेगा। पंंचायत चुनावी विगुल फुकने के साथ एक सांस में दर्जन भर से अधिक घोटाले की चर्चा करने वाले उसी के पक्ष में मतदान कर बैठे तो उन घोटालों का अब क्या होगा।दौलतमंद ने एक बार आपको छला अब पांच साल उन घोटालों की कार्रवाई की बाट जोहने के बजाए अपने आप को छले जाने की आह भरते रहना पड़ेगा। दूसरी ओर राजनीति के धुरंधर पंंचायत चुनाव में आरक्षण को भी एक मुद्दा मान रहे हैं। जाती आधारित आरक्षण के बाद अब महिला आरक्षण ने तो साफ-साफ बता दिया है कि पति, प्रतिनिधि, परिवार एवं जात जमात ही नहीं दौलत भी अहम है।