आदि शक्ति जगदम्बा से ही शब्द एवं सृष्टि की उत्पत्ति हुयी है:आचार्य सुजीत शास्त्री

आदि शक्ति जगदम्बा से ही शब्द एवं सृष्टि की उत्पत्ति हुयी है:आचार्य सुजीत शास्त्री

आदि शक्ति जगदम्बा से ही शब्द एवं सृष्टि की उत्पत्ति हुयी है:आचार्य सुजीत शास्त्री

राहुल गुप्ता, ब्यूरो -
गरीब दर्शन/हाजीपुर।
पुराणो के अनुसार इस सृष्टी मे शक्तितत्व का प्रतिपादन पूर्णत: प्राचीन है। समय-समय पर जगदम्बा दुर्गा का आविर्भाव देवताओं की कार्यसिद्धि के निमित्त होता है। भगवती ने स्वयं कहा है: - "देवानां कार्य सिद्धयर्थ माविर्भवति सा यदा।" आचार्य सुजीत शास्त्री (मिठ्ठू बाबा) ने कहा कि एक ही महाशक्ति के विभिन्न स्वरूप हैं। इनमें छोटी-बड़ी की कल्पना करना अपराध है। जिसकी आस्था भगवती के जिस किसी रूप के प्रति समर्पित हो, उसे उसमें ही देवी के समस्त रूपों की उपस्थिती स्वीकार कर आराधना करना फलदायी सिद्ध होती है। शुम्भ-निशुम्भ, महिषासुर आदि राक्षसों को पराजित करने में देवताओ के असफल होने पर स्वयं जगदम्बा ने उन दानवों का संहार किया। हमारे मन के भीतर छुपे बैठे काम, क्रोध, मद, लोभ रुपी दैत्य हमें गलत दिशा की ओर उन्मुख न कर सकें इसके लिये हमें माता की छवि सर्वदा अपने मन-मस्तिष्क में विराजमान रखनी चाहिये।उन ममतामयी माता की शरण निश्चित ही अपने भक्तों को मुक्ति दिलानेवाली और उन्हें सौभाग्यपथ पर अग्रसर करानेवाली होती है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। अन्त में हम भी देवताओं के साथ सुर में सुर मिलाकर जगदम्बा से यही प्रार्थना करते हैं-- "देविप्रपन्नार्तिहरे प्रसीद, प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य। प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं, त्वमीश्वरी देवी चराचरस्य।।" मैया हम सबका, पुरे राष्ट्र का कल्याण करें।