छोटे बच्चों की ऑखों में तैरते सपने व परिकल्पनाएँ देख अभिभूत हूॅ – डाॅ.नूतन
गरीब दर्शन / मोतिहारी।
संत मीराबाई की 525 वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार की स्वायत्त संस्था संगीत नाटक अकादमी (नई दिल्ली) के तत्त्वावधान में कोलकाता में आयोजित दो दिवसीय ‘कला- धरोहर’ समारोह में राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजी गईं देश की प्रख्यात गायिका डाॅ. नीतू कुमारी नूतन ने शिरकत की। पश्चिम बंगाल के नाडिया कल्याणी स्थित नवोदय विद्यालय परिसर में दिनांक 21- 22 अगस्त को सम्पन्न दो दिवसीय समारोह में नयी प्रतिभाओं के लिए आयोजित कार्यशाला में डाॅ.नूतन ने उन्हें प्रशिक्षित किया, फिर भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त व कवयित्री संत मीराबाई के लिखे भजनों को अपने स्वरात्मक प्रस्तुति से पूरे वातावरण को भक्तिभाव के रंग से सराबोर कर दिया। विदित हो कि भारत सरकार ने देश के युवाओं को समावेशी और समान गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार के इस लक्ष्य को साकार स्वरुप देने के उदेश्य से संगीत नाटक अकादमी (नई दिल्ली) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर ‘कला धरोहर’ नामक कार्यक्रम का आयोजन देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में किया जा रहा है। जिसमें भारत के प्रख्यात कलाकारों, कला- विशेषज्ञों, कला- गुरुओं के नेतृत्व में कार्यशाला आयोजित किए गए हैं। इसके साथ ही कला धरोहर कार्यक्रम में कला के क्षेत्र में सुविख्यात कलाकारों के कलात्मक प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। इस कड़ी में संगीत नाटक अकादमी, भारत सरकार द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में डाॅ.नूतन ने नवोदित प्रतिभाओं को कला- संगीत की बारीकियों से अवगत करा उन्हें कला के कई गुर सिखाए। फिर उन्होंने शिक्षाविद्, कला- गुरु व कलाप्रेमियों की मौजूदगी में संत मीराबाई के भजनों को अपने सुमधुर स्वर लहरियों में स्वरबद्ध कर लय-स्वर-ताल की प्रस्तुति से पूरे वातावरण को संगीतमय बना डाला। डाॅ.नूतन ने मीराबाई के भजन ‘मुरलिया बाजे जमुना के तीर’…,’कोई कहिओ रे प्रभु आवन की’…, ‘हे री मैं तो प्रेम दिवानी’… तथा ‘बरसे बदरिया सावन की’ …को जब अपने स्वरलहरियों से संवारा तो मौजूद संगीतप्रेमी भक्तिभाव में डूब संगीत- सागर में डूबते – इतराते नजर आए। नवोदित कलाकारों का सानिध्य पा साकारात्मक ऊर्जा से लबालब डाॅ.नूतन ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी, नवोदय विद्यालय की प्राचार्य मौसमी नाग तथा वहाॅ मौजूद शिक्षाविद्, कला- गुरु एवं कला मर्मज्ञों के प्रति ह्रदय से आभार व्यक्त किया है। डाॅ.नूतन ने कहा कि बच्चों ने कला के माध्यम से गीत- संगीत के अलग- अलग स्वरुपो को जाना, समझा तथा उनसे मीराबाई के भजन सीखे। बच्चों के साथ बिताए उन पलों को अपनी अनुभूतियों में समेटते हुए डाॅ.नूतन ने कहा कि छोटे- छोटे बच्चों की ऑखों में तैरते सपने, उनके अंदाज व परिकल्पनाएँ देख सुखद आश्चर्य के अनुभव से मैं ओत-प्रोत हो गई।
डाॅ.नूतन ने कहा कि माॅ सरस्वती, माता- पिता, गुरु व स्नेहीजनों के आशीर्वाद ने संगीत के क्षेत्र में मुझे वह सबकुछ दिया, जिसकी हमें कामना थी। उन्होंने कहा कि संगीत में पारंगत होने में मुझे कई जन्म लगेंगे, परन्तु संगीत के क्षेत्र में जो भी थोड़ा कुछ कर पायी हूँ, वह बड़े- बुजुर्ग व स्नेहीजनों के आशीर्वाद का प्रतिफल है।