केले के बंच का उन्नत प्रबंधन उच्च उपज और बेहतर लाभ की है कुंजी : डॉ. एस. के. सिंह

केले के बंच का उन्नत प्रबंधन उच्च उपज और बेहतर लाभ की है कुंजी : डॉ. एस. के. सिंह

राम नाथ झा

गरीब दर्शन / पूसा / समस्तीपुर – केला एक महत्वपूर्ण फल फसल है, जो साल के बारहो महीनों बाजार में उपलब्ध रहता है। जिसे दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। केले की अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए, बंच (घौंद) के उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है। केले के बंच का सही ढंग से प्रबंधन करने से फलों का आकार, गुणवत्ता और उपज बढ़ती है। बंच प्रबंधन का महत्व केले के पौधे के विकास के दौरान, बंच का प्रबंधन फल के उचित विकास और आकार वृद्धि के लिए आवश्यक है। केले के बंच का उचित प्रबंधन से अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए थिनिंग, बैगिंग, पोषण प्रबंधन, जल प्रबंधन, बंच सपोर्ट, रोग-कीट नियंत्रण और सही समय पर कटाई जैसे महत्वपूर्ण चरणों का पालन करना आवश्यक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बंच प्रबंधन अपनाने से केले की उत्पादकता में सुधार होगा, जिससे किसानों की आय भी बढ़ेगी। उक्त बातें डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक,डॉक्टर एस के सिंह ने कहां की अधिक उपज और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए। तथा रोगों और कीटों के संक्रमण से बचाने के लिए। साथ ही बंच की समान परिपक्वता और विपणन योग्य गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए। कई सारे उपाय और सुझावों को दिया।

बंच के उचित प्रबंधन के महत्वपूर्ण पहलू

थिनिंग ‘थ्राइविंग या फिंगर थिनिंग’ थिनिंग प्रक्रिया में, कमजोर, असमान और छोटे हथों (हैंड्स) या फलों (फिंगर्स) को निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को करने से, बड़े और स्वस्थ फलों का उत्पादन होता है। पोषक तत्वों का वितरण समान रूप से होता है। पौधे पर अधिक भार नहीं पड़ता और गिरने का खतरा कम होता है।
थिनिंग की प्रक्रिया को बंच निकलने के 7-10 दिनों के भीतर ही करना चाहिए। इसमें घौंद केनीचे के 1-2 हथों को हटा दें, क्योंकि वे आमतौर पर कमजोर होते हैं। यह ध्यान रहे की छोटे और अविकसित फलों को हटाकर संतुलित फलों को छोड़ें।

बंच बैगिंग ‘थैली से ढकना’ और इस के ढेर सारे लाभ

बंच बैगिंग केले के फलों को कीट, रोग और पर्यावरणीय तनाव से बचाने के लिए एक प्रभावी तकनीक है।
बंच बैगिंग फलों की त्वचा चिकनी और दाग रहित रहती है। इससे तापमान में स्थिरता बनी रहती है, जिससे बंच समान रूप से परिपक्वता को प्राप्त करता है। साथ ही कीटों जैसे, केला स्कैल और स्कैरिंग बीटल से सुरक्षा मिलती है। और फलों का रंग और चमक बेहतर होती है, जिससे बाजार मूल्य अधिक मिलता है। सामान्य अवधि से एक हफ्ता पहले ही बंच परिवक्व हो जाता है। और नील गाय सहित जंगली जानवरों से बंच का बचाव भी होता है।

बंच बैगिंग करने की विधि

बंच निकलने के 10-15 दिनों के भीतर बैगिंग करना चाहिए। नीले, सफेद या पीले रंग के पॉलीथीन बैग या गैर-बुने हुए बैग का उपयोग करें। बैग को ऊपर से बाँध दें ताकि कीड़े या अन्य बाहरी तत्व अंदर न जा सकें।

उर्वरकों का छिड़काव और फीडिंग

बंच के स्वस्थ विकास और उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए सही पोषक तत्वों और हार्मोनों का छिड़काव आवश्यक है।बंच बनने के बाद 2% पोटेशियम नाइट्रेट(के एन ओ) का स्प्रे करने से फलों का आकार और गुणवत्ता बढ़ती है। कैल्शियम और बोरॉन का स्प्रे करने से फलों की मजबूती और भंडारण क्षमता बढ़ती है। 100-150 पीपीएम गिब्बेरेलिक एसिड (GA₃) का स्प्रे करने से फल तेजी से बढ़ते हैं।2% यूरिया या अमोनियम सल्फेट का छिड़काव फलों की वृद्धि को बढ़ावा देता है।

बंच सपोर्ट सहारा देना यह भी है आवश्यक

बंच भारी होने पर पौधा झुक सकता है या गिर भी सकता है, जिससे भरी नुकसान हो सकता है। इस समस्या को रोकने के लिए बंच सपोर्ट आवश्यक है। सपोर्ट देने के लिए बांस की छड़ियों या लकड़ी के डंडों का उपयोग (भी) या (वाई) आकार की सपोर्ट स्टिक के रूप में प्रयोग करें। साथ ही पौधे को गिरने से बचाव के लिए बंच के विपरीत दिशा में रस्सी से सहारा दें।

जल प्रबंधन और सिंचाई विधियां

बंच बनने के दौरान पौधे को पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। इस समय जल प्रबंधन पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि यह पानी और उर्वरकों की कुशल आपूर्ति करता है। गर्मी के मौसम में 4-5 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
मानसून में अधिक जलभराव से बचाव करें, अन्यथा जड़ सड़न की समस्या हो सकती है। रोग और कीटों का प्रबंधन बंच के अच्छे विकास के लिए कीट और रोग नियंत्रण भी आवश्यक है। सिगाटोका रोग हो तो प्रोपिकोनाजोल 0.1% या मैंकोजेब 0.2% का छिड़काव करें। कोलेटोट्रिचम फलों का धब्बा रोग दिखे तो कार्बेन्डाजिम 0.1% का छिड़काव करें। थ्रिप्स और स्केल कीट को नीम तेल 5% या क्लोरपायरीफॉस 0.2% का छिड़काव करें नियंत्रित किया जा सकता है।
समय पर केले कि कटाई और विपणन

बंच का सही समय पर कटाई करना उपज और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कटाई के लिए कुछ संकेत को बताते हुए उन्होंने कहा कि फलों का आकार परिपक्व हो जाए और कोनों से गोल दिखने लगें। साथ ही बंच निकलने के 90-120 दिन बाद कटाई करें। कटाई सुबह या शाम के समय करें और बंच को साफ कपड़े से पोंछकर रखें।

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