*बिचौलियों व बीमा में लगे कर्मियों की कट रही है चांदी, बीमा की राशि में से बेरोकटोक पचास प्रतिशत राशि का किया जा रहा मांग, सत्यापन में बरती गई अनियमितता, किसानों में भारी रोष
* गरीब दर्शन/ मोतिहारी
* बिहार राज्य फसल सहायता योजना के तहत जिले के पताही प्रखंड में विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में रबी फसल के लिए प्रखंड के आवेदित किसानों के सूची में अनियमितता व भ्रष्टाचार हावी है। एक ओर जहां बिचौलिया एवं सम्बन्धित कर्मी की चांदी कट रही है वहीं किसानों के सत्यापन में भी भारी गड़बड़ी व बीमा की राशि में से पचास प्रतिशत राशि की मांग किए जाने से प्रखण्ड के किसानों में भारी रोष व्याप्त है। किसानों ने इसकी शिकायत अक्टूबर 2024 में विभिन्न तिथियों को अनुमण्डल पदाधिकारी,पकड़ीदयाल एवं जिला कृषि पदाधिकारी से की थी। जिसके आलोक में अधिकारी द्वय ने सम्बन्धित अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन देने के लिए पत्र दिया है। तब जाकर अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने “देर आए, दुरुस्त आए”लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए अपने पत्रांक 355 दिनांक 13 दिसंबर 2024 को इस संबंध में प्रखंड के सभी कृषि समन्यवक, एटीएम, बीटीएम एवं किसान सलाहकार को पत्र देकर दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने का निदेश दिया है। साथ हीं पत्र में फसल सहायता में आवेदित किसानों का सही तरीके से जांच कर आवेदन को आगे अग्रसारित करने का निदेश दिया गया है। इसमें किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर कठोर कारवाई भी की जा सकती है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब नहीं देने पर यह समझा जाएगा कि इस संबंध में आपको कुछ भी नहीं कहना है और आप इस भ्रष्टाचार में संलिप्त है। तब आपके विरुद्ध विभागीय कारवाई हेतु उच्चाधिकारी को संसूचित कर दिया जाएगा। अब यहां यह यक्ष प्रश्न मुंहबाये खड़ा है कि किसानों के शिकायत के बाद अनुमंडल पदाधिकारी पकड़ी दयाल एवं जिला कृषि पदाधिकारी ने अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में हीं अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को जांच हेतु पत्र दिया था जिसके आलोक में डेढ़ माह बाद अनुमंडल कृषि पदाधिकारी ने शिकायत करने वाले किसानों की सुधि लेते हुए संबंधित कर्मियों से स्पष्टीकरण की मांग की है। इससे अनुमंडल कृषि पदाधिकारी की कार्य संस्कृति पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
* यहां बताते चलें कि बिहार राज्य फसल सहायता योजना के तहत प्रखण्ड के विभिन्न पंचायतों में बिचौलियों द्वारा आवेदित किसानों के सत्यापन हेतु विभागीय कर्मियों को चिन्हित गैर रैयत किसानों की सूची दी गई है जो उनकी शर्तों यानि बीमित राशि में से पचास प्रतिशत राशि का भुगतान बेहिचक कर दें। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कर्मियों द्वारा सत्यापित किसानों में से अधिकांश किसानों के पास न तो अपना खेती करने लायक जमीन है और नाहीं वे बटाई पर खेती किए हैं। सूत्रों के अनुसार उक्त सरकारी धन की लूट में प्रखण्ड स्तर के अधिकारियों का भी आशीर्वाद बिचौलियों को प्राप्त है जो गहन जांच का विषय है। यहां यह लोकोक्ति अक्षरशः चरितार्थ हो रहा है किसी हमहू लूटी, तुहु लूट, लूटे के आजादी बा,।