शिक्षक शिक्षा और पत्रकारिता एक दूसरे के पूरक हुआ करते थे : आकाश कुमार

 

अब पत्रकारिता से शिक्षा का वास्ता खत्म

गरीब दर्शन / सीवान ।

कुछ वर्ष पहले शिक्षक और पत्रकारिता के बीच एक गहरा संबंध था । पत्रकारिता और शिक्षक दोनों का उद्देश्य समाज को शिक्षित और जागरूक करना था । शिक्षक जहाँ विद्यार्थियों को सैद्धांतिक ज्ञान और नैतिक शिक्षा देते थे वहीं पत्रकारिता समाज के सामने सच्चाई प्रस्तुत कर उसे जागरूक करने का कार्य करती थी । दोनों ही क्षेत्र समाज के नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में सहायक थे लेकिन अब वह बात नही रही । 05 सितम्बर शिक्षक दिवस पर दूरदर्शन व आकाशवाणी के सीवान ब्यूरो, पीटीआई डिजिटल के संवाददाता एवं नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (एनयूजे) के सीवान जिला महासचिव आकाश कुमार ने गरीब दर्शन अखबार के प्रतिनिधि एनाएतुल्लाह नन्हे से खाश बात-चीत की । उन्होंने बताया कि कुछ दशक पहले की हम बात करे तो शिक्षक और पत्रकारिता के बीच पूरकता थी । पहले पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सत्य और तथ्य की खोज कर समाज के सामने लाना था । पत्रकार शिक्षक की तरह समाज को नई दृष्टि और सोच प्रदान करते थे । स्कूलों और कॉलेजों में पत्रकारिता को समाजशास्त्र, इतिहास और राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता था । विद्यार्थी समाचार पत्रों और संपादकीय को पढ़ कर सामाजिक मुद्दों पर बहस करते थे और अपने विषय पर नोट्स तैयार कर सेमिनार और सिम्पोजियम में हिस्सा लेते थे । यह एक ऐसा समय था जब पत्रकारिता न केवल सूचना देने का माध्यम था बल्कि समाज को शिक्षित करने का भी एक सशक्त हथियार था । सीनियर जर्नलिस्ट आकाश कुमार बताते हैं कि उस समय समाज में नैतिकता का पालन प्राथमिकता थी । उस समय की पत्रकारिता नैतिकता, सत्यता और जिम्मेदारी पर आधारित थी । शिक्षक और पत्रकार दोनों ही समाज के नैतिक पथ-प्रदर्शक थे । दोनों का उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना था और उनके बीच स्पष्ट रूप से एक पूरक संबंध था । वरिष्ठ पत्रकार आकाश कुमार बताते हैं कि अब स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता में शिक्षा का अभाव देखा जा रहा है इस पर व्यावसायीकरण हावी है । जिस कारण शिक्षा या समाज को जागरूक करने का लक्ष्य काफी पीछे छूट गया है ।

मीडिया हाउस अब मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसमें अक्सर निष्पक्षता और सत्यता की जगह त्वरित खबरों और सनसनीखेज सामग्री ने ले ली है । इस दौड़ में पत्रकारिता का वह शिक्षण दृष्टिकोण जो समाज के लिए था वह कहीं खो गया है । वे बताते हैं कि मानवीय मूल्यों में गिरावट आई है । जहाँ शिक्षक अपने विद्यार्थियों में नैतिकता और मूल्यों की शिक्षा देने का प्रयास करते हैं वहीं पत्रकारिता में मूल्यों का क्षरण होता दिखता है । वरिष्ठ पत्रकार आकाश कुमार कहते हैं कि समाज पर इस बदलाव का सीधा प्रभाव पड़ा है । पहले पत्रकारिता जहाँ समाज को जागरूक करती थी अब वह अक्सर लोगों को भ्रमित करने का माध्यम बनती दिखती है । वे आगे कहते हैं कि शिक्षक आज भी अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं लेकिन पत्रकारिता से शिक्षा का उद्देश्य गायब होता जा रहा है जो समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है । वे आखिर में कहते हैं कि पहले पत्रकारिता और शिक्षक एक दूसरे के पूरक थे क्योंकि दोनों ही ज्ञान, सत्य और नैतिकता को बढ़ावा देते थे किन्तु अब पत्रकारिता से शिक्षा का अभाव समाज में गलत सूचना और नैतिक गिरावट का कारण बन रहा है ।

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